न ज़ले न ख़ाक हो
हाय ये ज़िन्दगी न ज़ले,न ख़ाक हो,न आग़ लगे
हाय ये ज़िन्दगी न ज़ले,न ख़ाक हो,न आग़ लगे
फ़क़ीर कौम के आये हैं न सुर लगे न राग लगे.
हाय री क़िस्मत , कि मर्सिया ही उन्हें फ़ाग लगे
ख़ाली बोतल सी जवानी के मुंह पे जैसे क़ाग लगे
अज़ीब हाल है सोज़े- ज़हन्नुम भी उन्हें बाग लगे
कि इधर घर से ज़नाज़ा उठे औ उधर सुहाग लगे
लुफ्त ख़त्म हो गया औ जवानी पकड़ के बैठे हैं
हाय ये जवानी न जले ,न खाक हो ,न आग लगे
है बहुत कुछ मिज़ाज़ पर मौकूफ़ समझ लीजे
मिज़ाज़ भी ऐसा की न राह लगे न आग़ लगे
1. नोहा ---शोक गीत , मर्सिया -मृत्यु शोक गीत
सोज़े-ज़हननुम --नर्क की सेज़,
सोज़े-ज़हननुम --नर्क की सेज़,
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत ख़ूब ,कि नेहा ही उन्हें भाग लगे,वाह माह बेहतरीन
ReplyDeleteVery good write-up. I certainly love this website. Thanks!
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