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Monday, August 19, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : उनको आज़ रो बैठे

उनको आज़ रो बैठे
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 ग़र तेरी नज़रें- नवाज़  हो ज़ाये
 मेरी  ख़्वाहिस नमाज़ हो जाये

तमाम उम्र  हिज़्र में गुज़री
आओ कि ज़िन्दगी साज़  हो जाये

क्या कुछ और देखने को बाक़ी है
क्यों न धड़कन मेरी आवाज़ हो जाये

आज बाम पर चाँदनी नहीं उतरी
क्यों न कूये-यार में नमाज़ हो जाये 

न जानें क्यों उनको आज रो बैठे
इश्क़ रुस्वा न रहे और राज़ हो जाये

                    अज़ीज़ जौनपुरी 
            





9 comments:

  1. आज बाम पर चाँदनी नहीं उतरी
    क्यों न कूये-यार में नमाज़ हो जाये

    न जानें क्यों उनको आज रो बैठे
    इश्क़ रुस्वा न रहे और राज़ हो जाये

    खूबसूरत ग़ज़ल

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  2. बेहतरीन ग़ज़ल
    तमाम उम्र हिज़्र में गुज़री
    आओ कि ज़िन्दगी साज़ हो जाये

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  3. राखी की हार्दिक शुभकामनायें
    बाकी बातें बाद में

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  4. आज बाम पर चाँदनी नहीं उतरी
    क्यों न कूये-यार में नमाज़ हो जाये

    क्या खूब बात कही है शानदार शैर कहा है। रीडिंग में आपका प्रवास फलप्रद रहे सुखदाई रहे गजल मय रहे -

    आप दोनों गजल हो जाएँ


    मुल्क में ईद शबे रात मने।

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  5. वाह.. बहुत सुन्दर रचना.

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  6. क्या कुछ और देखने को बाक़ी है
    क्यों न धड़कन मेरी आवाज़ हो जाये

    तू हाथ लगाए और वीणा स्वर ताल हो जाए। शुक्रिया भाई साहाब आपके टिपण्णी का।

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  7. हर शैर काबिले गौर है।


    क्या कुछ और देखने को बाक़ी है
    क्यों न धड़कन मेरी आवाज़ हो जाये

    शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए।

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