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Friday, March 15, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए

   

          मेरी गजलों को सुब्हो-शाम पढ़ा कीजिए 
         आईना  देख  शर्मा   फिर   हँसा  कीजिए 

         जिंदगी   बिन  तुम्हारे   मेरी   कैसे कटी 
         मेरी   नज़रों  में   ख़ुद  यह  पढ़ा कीजिए 
   
         भूख  से   हो   गई  है  अब  मेरी  दोस्ती 
         पेट   बातों  से  मेरा  अब  भरा  कीजिए

         अपनी  नाकामियों  पर न  शर्माओं तुम 
         हँस   इल्ज़ाम   मुझ   पर  मढ़ा कीजिए

          एक  चेहरा  कोई  जुड़  गया  जिंदगी से
          मेरे   चेहरे   को   अपना  कहा  कीजिए 

         चंद   लमहे   ज़िन्दगी   के  गुनहगार थे
         उन  गुनाहों  को  मेरे  सर  मढ़ा कीजिए

         दिया  प्यार का  जल  रहा है जो दिल में
         अपनी  पलकों  पे  उसको रखा कीजिये

          एक चिंगारी  अभी  है  महफूज दिल में   
          अपनी  पलकों से उसको   हवा  दीजिए
         
         कुछ  शरम कीजिए कुछ रहम कीजिए
       "अज़ीज़"से प्यार जी भर किया कीजिए 

                                           अज़ीज़ जौनपुरी 
      
      
      
       

19 comments:

  1. वाह क्या बात! बहुत बेहतरीन! हर शेर लाजवाब!

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  2. बेहतरीन जिंदगी बिन तुम्हारे मेरी कैसे कटी
    मेरी नज़रों में ख़ुद यह पढ़ा कीजिए

    भूख से होगई है अब मेरी दोस्ती
    पेट बातों से मेरा अब भरा कीजिए...........................

    एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
    अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए

    कुछ शरम कीजिए कुछ रहम कीजिए
    "अज़ीज़"से प्यार जी भर किया कीजिए

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  3. वाह क्या बात ! बहुत सुन्दर !

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  4. बहुत ही सुन्दर और लाजबाब प्रस्तुति.

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  5. एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
    अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
    खूबसूरत शेर है .

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  6. "अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
    हँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए".....बहुत खूब
    आजकल दुनिया यही तो कर रही है ...एक तू भी कर ले तो क्या गलत हो जाएगा ...
    मेरी नई पोस्ट ....चाहती हूँ यकीन कर लेना .

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  7. अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
    हँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए

    बढ़िया है आदरणीय--
    आभार आपका ||-

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  8. आनंद आ गया अज़ीज़ भाई !
    बधाई !

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  9. वाह वाह ... बेहतरीन गज़ल ...
    सभी अशआर लाजवाब ...

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  10. बहुत खूब कही है गजल सर जी हर अशआर अपना अलग वजन रखता है .

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  11. बहुत बढ़िया
    हर एक शेर बेहतरीन
    सादर !

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  12. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  13. दिया प्यार का जल रहा है जो दिल में
    अपनी पलकों पे उसको रखा कीजिये

    एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
    अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए

    सुन्दर गजल

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  14. भूख से हो गई है अब मेरी दोस्ती
    पेट बातों से मेरा अब भरा कीजिए

    ....वाह! बेहतरीन ग़ज़ल.

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  15. ख़ूबसूरत अशआर अज़ीज़ जी

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  16. एक चेहरा कोई जुड़ गया जिंदगी से
    मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए

    शानदार गज़ल, हर शेर लाजवाब.......

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  17. खुबसुरत अभिव्यक्ति
    बेहतरीन गजल

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